वाराणसी । बनारस की एक सड़क से पिछले कई दिनों से आवाज आ रही है सरकार हमको पढ़ने दो देश को आगे बढ़ने दो कौन लोग है ये जिनसे शिक्षा का अधिकार छीन लिया गया है । जानता हूं आपकी दिलचस्पी इसमें नहीं है कोई पढ़ें या न पढ़ें आपसे क्या मतलब कोरोना काल सही आपका बच्चा तो आनलाइन पढ़ रहा है । पर मतलब तो आपको रखना होगा कल ऐसा भी हो सकता है कि फरमान जारी हो पढ़ाई सिर्फ उन चुनिंदा के लिए होगी जिनके पास तयशुदा एक मोटा बैंक बैलेंस होगा बाकी के लिए शिक्षा के दरवाजे बंद ये तो भविष्य की बात है वर्तमान में गिरजाघर से लंका जाने वाली सिधी सड़क के मध्यान लबे रोड स्थित हनुमान प्रसाद पोद्दार अंध विद्यालय के दृष्टिहीन छात्र अपने बंद कर दिए गए स्कूल को खोलने की पहली और आखिरी मांग के साथ पिछले 19 दिनों से धरने पर है। वो कह रहे है हमें शिक्षा चाहिए जवाब में सन्नाटा छाया है । दृष्टिहीन छात्र बोल रहे है और शासन से लेकर प्रशासन यहां तक कि शहर के विपक्षी दल चुप जैसे तय हो गया है ये वोट बैंक नहीं है इसलिए इनके मुद्दे पर न बोलना है न कुछ करना है ज्यादा शोर मचायेंगे तो किसी दिन देर रात लठिया के किनारे कर दिए जायेंगे । इनको दिव्यांग नाम से अलंकृत करने वाले इस शहर के सांसद देश के प्रधानमंत्री चुप है उनका अनुसरण करने वाले इस शहर से प्रदेश सरकार में तीन मंत्री चुप है। विपक्ष चुप है। इनका पक्ष सुनना जैसे अपराध है। जायज मुद्दों पर सत्ता इसी तरह चुप रहती है।
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