चकिया/चन्दौली। चकिया एक बार फिर इतिहास दोहराने जा रहा है। हालांकि इसकी इबारतें अभी लिखी जानी है, लेकिन आवाम में मची कोलाहल ने शब्दों को बैचेन कर दिया है। अब इंतजार है कि तो उस तारीख का, जब ये कोलाहल परिचर्चा से परिणाम में बदल जाए और उसे शब्दों में पिरोकर दर्ज करने की कार्यवाही मुकम्मल हो। जी हां! यह सबकुछ चकिया के राजनीतिक को लेकर लिखी जा रही है, ताकि पढ़ी आए और सनद भी रहे कि किस तरह समाजवाद ने समाज के प्रति समर्पण, संघर्ष को सलाम किया और जनता के एक प्रतिनिधि को जनप्रतिनिधित्व का अवसर दिया।
चकिया विधानसभा के उन मतदाताओं व आम नागरिकों के लिए मंगलवार का दिन उस वक्त मंगलकारी हो उठा, जब चकिया के पूर्व विधायक जितेंद्र कुमार का नाम समाजवादी पार्टी के प्रत्याशियों की सूची में दर्ज किया गया।
सूची के प्रकाशन व उसे सोशल मीडिया में आते ही चकिया विधानसभा के चप्पे-चप्पे में खुशियों की लहर दौड़ गयी। खासकर गरीब ग्रामीणों के मोहल्ले, दलितों की झुग्गी-झोपड़ियों में निवासरत लोगों के चेहरे की रौनक से जगमग हो उठा था। ऐसा लग रहा था मानो अघोषित रूप से पूरा का पूरा इलाका होली व दीवाली जैसा जश्न बना रहा है। बसंत में फागुन का प्रभाव दिख रहा था। कुछ लोगों ने इस उत्साह को मतदान तिथि तक बनाए रखने के संकल्प भी लिए ।
इन लोगों को समाजवादी पार्टी व जितेंद्र कुमार का समर्थक कहा जाना बिल्कुल भी गलत नहीं होगा। उत्सव मनाना और उत्साहित होना लाजिमी भी था, क्योंकि चकिया विधानसभा से टिकट की घोषणा का इंतजार को लम्बा हुआ। मानो समर्थकों, परिजनों व समाजवादी पार्टी में आस्था रखने के साथ यह अवसर उन लोगों के पर्व जैसा रहा, जो जितेन्द्र कुमार को अपना बेटा- भाई और परिवार मानते हैं। फिलहाल चकिया विधानसभा के लोग खुशियां मना रहे हैं। साथ ही जितेंद्र कुमार के चुनाव प्रबंधन को संभालने वाले लोग अब ज्यादा गंभीर और जिम्मेदार की भूमिका में नजर आए, जिन्हें अब चकिया के रण को अपने चिर प्रतिद्वंदी को शिकस्त देकर जीत हासिल करना है, जो उनका लक्ष्य है और बेहद चुनौतीपूर्ण भी है।
इस दौरान राजेश पटेल, सद्दाम हुसैन, ताहिर, बबलू भाई, दिनेश यादव, बादल यादव, पंकज कुमार शर्मा, चंदन सिंह, विवेक यादव, गोलू यादव, मोसैफ खान, उपस्थित रहें।
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