अहमदाबाद(मीडिया टाइम्स)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए आज का दिन बेहद दुखभरा साबित हुआ है, उनकी मां हीराबेन का हुआ निधन इसी साल जून में उन्होंने 100वां जन्मदिन मनाया था। सांस लेने में तकलीफ के बाद उन्हें अहमदाबाद के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इससे पहले अस्पताल ने हेल्थ बुलेटिन जारी कर बताया था कि उनकी हालत स्थिर है, हर कोई प्रार्थना कर रहा था कि वह जल्दी ही स्वस्थ हो जाएं, लेकिन दुआएं काम नहीं आईं और हीराबेन सभी को छोड़कर चली गईं, पीएम मोदी का उनके साथ बेहद ज्यादा स्नेह था, PM मोदी हर जन्मदिन में उनके पास जाते थे और उन तस्वीरों में स्वस्थ्य नजर आती थीं।
लोग बताते हैं कि इतनी उम्र में भी वो अपना काम खुद करती थीं, उनकी मौत की खबर से पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है। इसके पहले पीएम मोदी से उनकी मुलाकात गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान हुई थी। दूसरे और अंतिम चरण के लिए 5 दिसंबर को वोटिंग होनी थी।
इसी बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गांधीनगर में अपनी मां हीराबेन मोदी के आवास पर पहुंचे थे। दूसरे दिन पीएम मोदी ने अहमदाबाद में वोट डाला था, मां के पांव धोकर खिलाई थी मिठाई पीएम मोदी 18 जून को मां हीराबेन के 100 वें जन्मदिन के मौके पर मिलने पहुंचे थे और बधाई दी थी। जहां पर पीएम मोदी ने करीब 30 मिनट मां के साथ गुजारे थे।
इस दौरान उन्होंने मां के चरण धोए और मिठाई खिलाई थी, उसके बाद मां का आशीर्वाद लिया था, हालांकि, इससे पहले भी पीएम नरेंद्र मोदी इसी साल 27 अगस्त को दो दिवसीय गुजरात दौरे पर अचानक अपनी मां हीराबेन से मिलने पहुंचे थे। जहां पर वे साबरमती नदी पर अटल पुल के उद्घाटन और खादी उत्सव कार्यक्रम में भाग लेने के बाद पीएम मोदी अपनी मां के आवास पर पहुंचे थे, छोटे बेटे के साथ रहती थीं हीराबेन गुजरात के गांधीनगर के बाहर इलाके में रायसण गांव में मोदी के छोटे भाई पंकज के साथ रहती थीं।
पीएम मोदी ने अपनी मां के 100वें जन्मदिन पर उनके लिए एक पत्र लिखा था। पीएम मोदी ने मां के लिए इसमें मोदी ने तमाम यादें ताजा करते हुए अपने जीवन में मां के महत्व को समझाया था, लेटर में लिखा था "मां, ये सिर्फ एक शब्द नहीं है, जीवन की ये वो भावना होती जिसमें स्नेह, धैर्य, विश्वास, कितना कुछ समाया होता है, दुनिया का कोई भी कोना हो, कोई भी देश हो, हर संतान के मन में सबसे अनमोल स्नेह मां के लिए होता है। मां, सिर्फ हमारा शरीर ही नहीं गढ़ती बल्कि हमारा मन हमारा व्यक्तित्व, हमारा आत्मविश्वास भी गढ़ती है और अपनी संतान के लिए ऐसा करते हुए वो खुद को खपा देती है, खुद को भुला देती है।
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