केएमसी विधि अपनायें, शीतलहर में शिशु का तापमान सामान्य बनायें,स्तनपान से नवजात की बढ़ती है रोग प्रतिरोधक क्षमता,ठंड से मुकाबला करने में भी शिशु को मिलता है सहयोग
चंदौली(मीडिया टाइम्स)। शीतलहर से सभी परेशान हैं लेकिन इससे सबसे अधिक परेशानी है उन नवजात शिशुओं को जिनकी यह पहली ठंड है। शीतलहर में नवजात शिशुओं को रोगों से बचाने के लिए विशेष देखभाल की जरूरत पड़ती है। ऐसे में छह माह तक के नवजात शिशुओं के लिये “कंगारू मदर केयर” (केएमसी) विधि अपनाने और उन्हें केवल स्तनपान कराना बेहद लाभदायक है। यह उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को तो बढ़ता ही है साथ ही ठंड से मुकाबला करने के लिए भी उन्हें मजबूत बनाता है।
यह कहना है अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. आर बी शरण का डॉ.शरण बताते हैं कि नवंबर से जनवरी के बीच जन्में नवजात के प्रति थोड़ी सी भी लापरवाही इस समय भारी पड़ सकती है, क्योंकि नवजात की रोग-प्रतिरोधक क्षमता कम रहती है और ठंड के समय नवजात के शरीर के तापमान को सामान्य रखना बहुत ही आवश्यक है। हाइपोथर्मिया (ठंडा बुखार) से बचाव के लिए कंगारू मदर केयर विधि बेहद ही कारगर उपाय है। साथ ही जन्म के तुरंत बाद यानि एक घंटे के भीतर नवजात को स्तनपान कराना बेहद जरूरी है। स्तनपान से नवजात शिशु के पोषण की सभी आवश्यकताओं को पूरा करने के साथ ही ठंड से मुकाबला करने में सहायक होती है।
राजकीय महिला चिकित्सालय की स्त्रीरोग विशेषज्ञ डॉ. महिमा नाथ ने कहा कि नवजात शिशु के लिए कंगारू मदर केयर एक ऐसा उपाय है जो न सिर्फ शिशु के शरीर का तापमान सामान्य रखता है बल्कि सर्दी से भी उनका बचाव करता है। असमय व कम वजन के साथ जन्म लेने वाले शिशु को संक्रमण से बचाने और शीतलहर में स्वास्थ्य में सुधार लाने के लिए भी केएमसी अपनायी जाती है।वइस विधि में शिशु को मां के सीने से प्रत्यक्ष चिपका कर (त्वचा से त्वचा का संपर्क) रखा जाता है जिससे मां के शरीर की गर्माहट आसानी से और जल्दी से शिशु तक पहुंचाया जा सके।
वह कहती हैं कि नवजात को वयस्कों के मुकाबले श्वसन तंत्र के इंफेक्शन (सर्दी-खांसी,टॉसिलाइटिस,कफ वाली सर्दी और निमोनिया) से सुरक्षित रखना ज्यादा जरूरी होता है। सर्दी में नवजात को ठंडा बुखार से बचाने के लिए शिशु को चार तह का कपड़ा पहनाएं 2.5 किग्रा से कम वजन शिशु को कंगारू थैरेपी दें , एक बार में कम से कम एक घंटा या ऐसा दिन में आठ घंटे तक करें, इससे बच्चे का विकास होगा। इसके साथ ही बच्चे का मां के लगातार संपर्क में रहने से दूध भी बढ़ता है। मां के अलावा पिता या परिवार का कोई भी सदस्य नवजात को कंगारू मदर केयर दे सकता है। शिशु को दिन में 6 से 7 बार पेशाब होना जरूरी है। पेशाब न होने पर डिहाइड्रेशन की आशंका बढ़ती है।
नवजात शिशु को हर दो घंटे के अंतराल पर दूध पिलाना चाहिए। ऐसा न करने से शिशु को डिहाइड्रेशन और पीलिया होने का खतरा रहता है। मां का दूध नवजात की प्रतिरोधक क्षमता व शिशु के पोषण को संतुलित बनाए रखने में भी बेहद महत्वपूर्ण है।साथ ही स्तनपान नवजात को स्वस्थ बनाता है और आजीवन उसके अच्छे स्वास्थ्य और विकास में मदद करता है।
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