लेबरों की नहीं फोटो से फोटो की ली जाती है हाजिरी
नौगढ़ चंदौली । नौगढ़ में मनरेगा योजना के तहत बड़े पैमाने पर हुए फर्जी भुगतान और मस्टररोल घोटाले ने प्रशासन की लापरवाही को बेनकाब किया है। यहां सरकारी योजनाओं के तहत मजदूरी का भुगतान बिना किसी काम के किया जा रहा है, और यह मामला अब गंभीर मोड़ पर आ गया है। ग्रामीणों की शिकायतें और जांच में हुए खुलासे ने भ्रष्टाचार का एक और चेहरा सामने ला दिया है।
आरोप है कि कई ग्राम पंचायतों में मजदूरी का भुगतान बिना काम किए ही हो रहा है। मनरेगा पोर्टल पर फर्जी मस्टररोल दर्ज किया जा रहा है, और अटेंडेंस के फोटो खींचने का काम सिर्फ कागजों तक सीमित है। क्षेत्र के चुप्पेपुर पंचायत के हरियाबांध से चुप्पेपुर तक के पटरी मरम्मत कार्य का दावा किया गया है, जबकि कार्यस्थल पर कोई मजदूर दिखाई नहीं दे रहा। फोटो खींचने के बाद ही मस्टररोल पर अटेंडेंस लगा दिया गया।
मस्टररोल में धांधली और अधिकारियों की मिलीभगत
विकास खंड के चमेरबांध गांव में राम प्रसाद और राम कुंवर के खेतों के पास काम का दावा किया गया है, लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि यहां कोई कार्य नहीं हुआ। यहां 129 मजदूरों का फर्जी मस्टररोल निकाला गया, जबकि मौके पर न तो मजदूर मिले और न ही काम हुआ। यह कोई पहला मामला नहीं है, कई अन्य ग्राम पंचायतों में भी इसी तरह के फर्जी मस्टररोल का खुलासा हुआ है। ग्रामीणों का कहना है कि ठेका के जरिए अधिकारियों की मिलीभगत से यह भ्रष्टाचार हो रहा है। कई बार शिकायतों के बावजूद प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। यह मामला मुख्यमंत्री पोर्टल, जिलाधिकारी और खंड विकास अधिकारी तक पहुंच चुका है, लेकिन किसी ने इस पर गंभीरता से ध्यान नहीं दिया। मामले की जांच के लिए जिलाधिकारी निखिल टीकाराम फुंडे के निर्देश पर एक टीम गठित की गई थी, लेकिन जांच की प्रक्रिया में देरी हो रही है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर समय पर कार्रवाई नहीं की गई, तो वे उग्र आंदोलन करने के लिए मजबूर होंगे। प्रशासन की नाकामी ने भ्रष्टाचारियों का मनोबल बढ़ा दिया है। ग्रामीणों का आरोप है कि प्रशासन इस मामले को जानबूझकर ठंडे बस्ते में डालने की कोशिश कर रहा है, ताकि दोषी अधिकारियों और ठेकेदारों को बचाया जा सके।
*सरकारी धन का दुरुपयोग: ग्रामीणों का आक्रोश*
ग्रामीणों का कहना है कि सरकारी धन का दुरुपयोग किया जा रहा है और कुछ लोग अपनी जेबें भर रहे हैं, जबकि इस धन का उद्देश्य गरीबों की सहायता करना था।
कई गरीब परिवारों के सदस्य इस योजना का हिस्सा बनकर मजदूरी करना चाहते हैं, लेकिन फर्जी मस्टररोल की वजह से उन्हें काम नहीं मिल पा रहा।ग्रामीणों ने प्रशासन को चेतावनी दी है कि अगर इस मामले में दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं की गई, तो वे बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करेंगे। उनका कहना है कि सरकारी योजनाओं का पैसा जनता का हक है और यह भ्रष्टाचार उनके हक को छीनने की कोशिश है। अगर प्रशासन ने इसे अनदेखा किया, तो वे आंदोलन करने के लिए तैयार हैं।
अब सवाल यह उठता है कि क्या प्रशासन इस मामले में जल्द और सख्त कदम उठाएगा? क्या जांच की प्रक्रिया में तेजी लाई जाएगी और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी? या फिर भ्रष्टाचारियों के खिलाफ आवाज उठाने वाले ग्रामीणों को अपने अधिकारों के लिए खुद संघर्ष करना पड़ेगा? इस मामले पर प्रशासन की कार्रवाई और ग्रामीणों के आंदोलन के बाद ही इस सवाल का जवाब मिल पाएगा।
No comments:
Post a Comment