मोदी जी की किसान विरोधी नीति का किसानों के बीच किया जा रहा हैं पर्दाफाश: मजदूर किसान मंच
चन्दौली / कारपोरेट कंपनियां खेती, उद्योग और व्यापार पर कब्जा कर मुनाफा लूटना चाहती हैं इसलिए मोदी सरकार किसानों की हित की अनदेखी करते हुए कारपोरेट खेती के लिए नियम व कानून बदल रहीं हैं उक्त बातें आज मोदी सरकार की किसान विरोधी नीति का पर्दाफाश करते हुए स्वराज अभियान के नेता व मजदूर किसान मंच के प्रभारी अजय राय ने कहा!
उन्होंने कहा कि कारपोरेट घरानों के हीत के लिए योजनाबद्ध तरीके से ग्रामोद्योग को खत्म किया गया, धिरे धिरे जल, जमीन, खनिज पर मालिकाना हक उनको दिया जा रहा है खेती और व्यापार हवाले किया जा रहा हैं! मोदी जी के सरकार द्वारा जल, जंगल, जमीन, खनिज आदि प्राकृतिक संसाधनों पर कारपोरेट्स को मालिकाना हक देने के लिये नीति और कानूनों में बदलाव की प्रक्रिया जारी है। बैंक, बीमा कंपनियां, रेल और सभी सार्वजनिक क्षेत्रों को देशी विदेशी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के हवाले किया जा रहा है। अब यह सरकार खेती और व्यापार को कारपोरेट्स को सौंपने के लिये नीतियां और कानूनों में बदलाव करने का काम कर रही है।
उन्होंने कहा कि किसानों की आय दोगुनी करने के लिये किसानों की संख्या आधी करना और धीरे धीरे खेती में केवल 20 प्रतिशत किसान रखकर बाकी किसानों को खेती से बाहर करना केंद्र सरकार और नीति आयोग की घोषित नीति है। यह 20 प्रतिशत किसान कारपोरेट किसान होंगे, जो कंपनी खेती या करार खेती के माध्यम से खेती करेंगे। सरकार मानती है कि छोटे जोत रखनेवाले किसान पूंजी, तंत्रज्ञान के अभाव के कारण अधिक उत्पादन की चुनौती को स्वीकार नही कर पाते इसलिये उन्हे खेती से हटाना जरुरी है।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की कृषि नीति कारपोरेट खेती की दिशा में आगे बढ रही है। अब करार खेती या कारपोरेट खेती के माध्यम से कंपनियां खेती करेगी। रासायनिक खेती, जैविक खेती में बीज, खाद, कीटनाशक, यंत्र और तंत्रज्ञान आदि इनपुट पर कंपनियों ने पहले ही नियंत्रण प्राप्त किया है। यह कारपोरेट कंपनियां अब खेती का मालिक बनकर या करार खेती के माध्यम से खेती करेगी। मंडियों के अंदर इ नाम द्वारा और मंडियों के बाहर एक देश एक बाजार में कृषि उत्पाद खरीदा जायेगा। फसलों का उत्पादन, भांडारण, प्रक्रिया उत्पाद, घरेलू बाजार और विश्व बाजार में खरीद, बिक्री, आयात, निर्यात सभी काम यह बहुराष्ट्रीय कंपनियां करेगी।
उन्होंने कहा कि देश के किसानों को केंद्र सरकार द्वारा भारत की खेती को कारपोरेट्स के हवाले करने के नीति और कानूनों का विरोध करने के लिये संगठित होकर संघर्ष करना होगा। आओं, किसानों के लिये न्याय और आजादी के लिये हम मिलकर संघर्ष करते है।
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