वाराणसी। इस साल की रंगभरी एकादशी बेहद ख़ास होगी। बाबा विश्वनाथ जब माँ पार्वती का गौना करा कर घर लौटेंगे तो माँ गौरा को काशी विश्वनाथ धाम का नजारा पूरा बदला-बदला नज़र आएगा। माँ पार्वती पहली बार बिना रुकावट सीधे गंगा को देख पाएंगी महारानी अहिल्याबाई होलकर के बाद क़रीब 250 साल बाद भाजपा सरकार ने काशी विश्वनाथ धाम के आस पास के मंदिरों को मुक्त कराया है।
बाबा धाम को विस्तार देते हुए करीब 50260 स्क्वायर मीटर में 339 करोड़ की लागत से काशी विश्वनाथ धाम को मूर्त रूप देने की योजना बनाई है। वैसे तो काशी में रंगो की छठा शिवरात्रि के दिन से ही शुरू हो जाती है। लेकिन बाबा की नगरी में एक दिन ऐसा भी रहता है, जब बाबा खुद अपने भक्तों के साथ होली खेलते है। रंगभरी एकादशी के दिन बाबा की माँ गौरा के साथ चल प्रतिमा निकलती है। वैसे तो देश में मथुरा और ब्रज की होली मशहुर है।
लेकिन रंगभरी एकादशी के दिन साल में एक बार बाबा अपने परिवार के साथ निकलते है और काशीवासियों के साथ रंग गुलाला की होली खेलते हैं। शिवरात्रि के बाद पड़ने वाला रंग भारी एकादशी का अपना अलग ही महात्म है। इस दिन काशी मानों भोले भंडारी के रंग में रंग जाती है। भोले बाबा इस दिन माँ पार्वती के साथ खुद ही निकलते है। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के अर्चक श्रीकांत मिश्रा इस पर्व के बारे में बताते है कि आज के पावन दिन बाबा के चल प्रतिमा का दर्शन भी श्रद्धालुओ को होता है और बाबा के दर्शन को मानों आस्था का जन सैलाब काशी के इन गलियों में उमड़ पड़ता है।
बेहद खास इस बार की रंगभरी एकदाशी।....
मान्यता है की देव लोक के सारे देवी देवता इस दिन स्वर्गलोक से बाबा के ऊपर गुलाल डालते हैं। इस दिन काशी विश्वनाथ मंदिर के आस पास की जगह अबीर और गुलाल के रंगों से सराबोर हो जाती है। भक्त जमकर बाबा के साथ होली खेलते हैं। बाबा इस दिन माँ पार्वती का गौना कराकर वापस लौटते हैं। बाबा के पावन मूर्ति को बाबा विश्वनाथ के आसन पर बैठाया जाता है। श्रीकांत मिश्र ने कहा की इस बार रंगभरी एकादशी इस लिए भी ख़ास है क्योंकि माँ जब गौने से बाबा विश्वनाथ के परिसर में आएंगी और पालकी मंदिर परिसर में घुमाई जाएगी तो माँ गौरा काशी विश्वनाथ धाम का भव्य रूप देखेंगी, जो विस्तार ले रहा है। नया आकार ले रहा है।
विश्वनाथ धाम का नया नजारा होगा भव्य।....
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