चकिया/चन्दौली। क्षेत्र के वनदेवी गांव में श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ की चतुर्थ दिवस में महाराज जी ने भगवान श्री सुकदेव जीके स्वरूप का ध्यान करते हुए निष्काम भक्ति योग का वर्णन किया महाराज जी ने अपने प्रवचन में कहा के गृहस्थ जीवन में रहते हुए भी उस परमात्मा का अनुभव एवं दर्शन किया जा सकता है एवं शुभ कर्मों से अपने जीवन में दिव्यता का अनुभव किया जा सकता है जिससे यह जीवन जीते जी स्वर्ग हो जाता है लेकिन जब जी वह पाप कर्म करता है तो जीते जी जीवन नर्क हो जाता है स्वर्ग और नर्क दोनों इसी धरा धाम पर भोगना पड़ता है इससे मुक्ति का उपाय केवल भक्ति है भगवान की शरणागति है गुरु की महिमा का वर्णन करते हुए महाराज जी ने कहा किस भव बंधन से गुरु ही छुड़ा सकते हैं और इसी शरीर से जीवन मुक्त उस परमात्मा का दर्शन करा सकते हैं इसलिए बिना सद्गुरु के शरणागति बिना भक्ति का स्वरूप समझ नहीं आता और भक्ति ही जीवन में प्रेम और दिव्यता लाती है,
कार्यक्रम में मुख्य रूप से राजाराम यादव बच्चे लाल जायसवाल सुनील प्रजापति हंशु प्रजापति ओम प्रकाश शर्मा डब्लू चौबे गोपाल दुबे प्रमोद चौबे गुरु विश्वकर्मा रवि शंकर विश्वकर्मा जितेंद्र प्रजापति उपस्थित थे कार्यक्रम का आयोजन महावीर सेवा समिति बन देवी आयोजन करता ओम प्रकाश पांडे व्यास का संचालन करता राजेश कुमार विश्वकर्मा ने किया
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