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Sunday, June 11, 2023

दागदार हुए सूर्या हॉस्पिटल के खिलाफ पुलिस की इनक्वायरी आरंभ, एसपी ने एएसपी को दिए निर्देश, सीसीटीवी फुटेज के बैकअप को भी खंगालेगी फॉरेंसिक टीम

सूर्या हॉस्पिटल के पंजीयन रिन्यूवल में बड़ा झोल, सीएमओ की करतूत उजागर…

 चंदौली भ्रष्टाचार और कार्रवाई के नाम पर सिर्फ जांच दर जांच का आश्वासन देने का बड़ा खेल हुक्मरानों के इशारे पर जमकर खेला जा रहा है। लूट – खसोट में लिप्त महकमा दोषी को बचाने की पुरजोर कोशिश में जुटा है। सिस्टम के खेल भी निराले हैं, मौत के सौदागरों को कमाई का जरिया बनाकर उनके हजार जुर्म जांच की तपती भट्ठी में दफ्न कर दिए जा रहें हैं। ना मासूमों की चीत्कार इनके कानों में गुजती है और ना ही पीड़ित परिजनों की फरियाद!


सूर्या हॉस्पिटल जनपद का एक नामचीन नाम था। जब इस हॉस्पिटल का उद्घाटन हुआ तो लोगों को इलाज के लिए दूर ना भटकने की आस के साथ बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के मुहैया होने की उम्मीद जगी। महामना की धरती से डाक्टरी की पढ़ाई कर आए इस हॉस्पिटल के चिकित्सक ने तो महामना की पावन धरती और शिक्षा को भ्रष्टाचार की बलि बेदी पर चढ़ाकर, मौत के सौदागर बन बैठे। बता दें कि इन कड़वे शब्दों का आरोप मढ़ा भुक्तभोगी आशीष नागवंशी ने, जो पेशे से शासकीय अधिवक्ता हैं। भुक्तभोगी के भाई वशीष नागवंशी की पत्नी विभा सिंह को इलाज के लिए 23 मई को उक्त हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। पैथोलॉजी की रिपोर्ट के अनुसार मृत विभा सिंह डेंगू वायरस की शिकार थीं। दो दिनों तक नौसिखिए पैरामेडिकल स्टाफ के भरोसे चले इलाज के दौरान मृत विभा सिंह की हालत बिगड़ती गई। जब अस्थि रोग विशेषज्ञ महोदय पहुंचे तो बिगड़ती हालत के बीच बिना आक्सीजन सपोर्ट के अन्यत्र रेफर कर दिया, जिससे रास्ते में ही विभा की मौत हो गई। सूर्या हॉस्पिटल एंड ट्रामा सेंटर के चिकित्सक की लापरवाही पर आशीष नागवंशी ने न्याय के लिए मोर्चा खोला तो राजनीतिक रसूख आड़े आने लगे। इस कवायद में डीएम द्वारा गठित जांच टीम भी दागदार और मौत के सौदागर बने उक्त हॉस्पिटल को बचाने की पुरजोर कोशिश में जुट गए हैं।

सीएमओ डॉ युगल किशोर राय

बता दें कि अप्रैल माह के बाद ही जनपद के अधिकांश हॉस्पिटलों व पैथोलॉजी सेंटरों के पंजीयन की अवधि समाप्त हो गई थी लेकिन उसके बाद भी अवैध रूप से ये हॉस्पिटल संचालित रहे। मुद्दा जब मीडिया ने उठाया तो उदासीन बना स्वास्थ्य महकमा एकाएक बड़ा अभियान शुरू कर कमीशन देने में आना कानी करने वाले कुछ चुनिंदा हॉस्पिटलों पर ताबड़तोड़ कार्रवाई कर डाली और मीडिया के सुर्खियों में छा गए। लेकिन ज्वालामुखी का विस्फोट तो अभी बाकी था। इसी बीच कई मौतों के सच को दफ्न किए सूर्या हॉस्पिटल एंड ट्रामा सेंटर की कारगुजारी का काला चेहरा बेनकाब हुआ और इस चेहरे को ढकने की कड़ी में भ्रष्टाचार की इंतहा तक का कुचक्र रचा जाने लगा।



डीएम के निर्देश पर सीएमओ डॉ युगल किशोर राय के नेतृत्व में गठित पांच सदस्यीय जांच टीम ने मामला सुर्खियों में आने के बाद दूसरे दिन सूर्या हॉस्पिटल का स्थलीय निरीक्षण कर अनियमितताओं का इशारा किया लेकिन जांच की फाइनल रिपोर्ट अभी तक जांच के दायरे तक ही सिमटकर रह गई। राजनीति के बड़े शूर्माओं ने हाथ – पैर पसार सच को ही निगल डालने का बेड़ा उठा लिया। इसका जीता जागता उदाहरण देखने को तब मिला जब पूरे प्रकरण की जांच का जिम्मा लिए सीएमओ चंदौली सिर्फ जांच दर जांच का हवाला देते मिले। प्रकरण के सात – आठ दिन बीत चुके हैं लेकिन कार्रवाई के नाम पर महज खानापूर्ति कर जांच जारी है,का थोथला देते नजर आए।

शासकीय अधिवक्ता आशीष नागवंशी

बता दें कि स्वास्थ्य महकमें के रिकार्ड रूम खंगालने के बाद यह सच्चाई उजागर हुई कि सूर्या हॉस्पिटल एंड ट्रामा सेंटर का पंजीयन 30 अप्रैल 2023 को ही खत्म हो चुका था। लिहाजा पंजीयन चिकित्सीय स्थापना ( पंजीयन एवं रेगुलेशन अधिनियम 2010 और नियमों के अंतर्गत नहीं है) का घोर उल्लंघन किया गया और बिना रोक टोक के सूर्या हॉस्पिटल धडल्ले से संचालित रहा। सबसे बड़ा प्रश्न है कि पंजीयन अवधि समाप्त होने के बाद भी आखिर उक्त हॉस्पिटल कैसे संचालित रहा और किसकी मिलीभगत से… तमाम सवाल सीएमओ के समक्ष खड़े हैं लेकिन जवाब मात्र जांच जारी है।

एसपी अंकुर अग्रवाल के समक्ष एक बार पुनः न्याय की गुहार लेकर पहुंचे आशीष नागवंशी ने प्रश्नों की बौझार कर डाली। उन्होंने एसपी से मामला दर्ज किए जाने और सुरक्षित रखे गए छह दिनों के सीसीटीवी फुटेज के पहले की फुटेज को खंगालने और फोरेंसिक टीम की मदद लेने की बात पर बल दिया। हालांकि इस दौरान एसपी ने पूरे प्रकरण पर एएसपी विनय कुमार सिंह को पूरे प्रकरण के बाबत जांच करने और 22 मई से लेकर अभी तक के सीसीटीवी फुटेज के बैकअप के लिए फॉरेंसिक जांच का निर्देश दिया है।


इस दौरान शासकीय अधिवक्ता आशीष नागवंशी ने बताया कि जिन नियमों के तदर्थ सीएमओ साहब जनपद के अन्य हॉस्पिटलों और पैथोलॉजी को सीज करने की कार्रवाई अमल में ला रहें हैं तो दोष सिद्ध होने के बाद भी आखिरकार सूर्या हॉस्पिटल एंड ट्रामा सेंटर पर कार्रवाई क्यूं नहीं हुई। बताया कि 30 अप्रैल को रजिस्ट्रेशन की अवधि समाप्त होने के बाद भी निर्बाध गति से संचालित उक्त हॉस्पिटल द्वारा 24 मई को पंजीयन रिन्यूवल के लिए आवेदन किया जाता है और 25 मई को सीएमओ साहब पंजीयन रिन्यूवल भी कर देते हैं। आखिर किस नियम और किसकी मेहरबानी से इतना बड़ा रिस्क लिया गया, या पूरा स्वास्थ्य महकमा मौत के सौदागरों को बचाने की जुगत में नियमों को धन के लोभ तले कुचल डाला है। इस दौरान उन्होंने सीएमओ को हाईकोर्ट तक घसीटने की हुंकार भरी।

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