अक्सर हर जगह लोग कहते रहते है कि किसी के बारे में कुछ अच्छा लिख दो तो कहते है कि तेल लगा रहा है। अगर किसी सरकारी या गैर सरकारी व्यक्ति या संस्थान के खिलाफ खबर लिखने पर तुरंत आरोप लगता है कि पैसे के लिए कर रहे है। यहां पर मैं यहां स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि संविधान की शपथ लेकर सरकारी अधिकारी लाखों का वेतन लेकर भी भ्रष्टाचार करते हैं, ये अमूनन हर जगह है चाहे कलेक्टर हो या चपरासी।
मेरा ये मानना है कि कोई भी लोकसेवक यदि वेतन के अलावा भ्रष्टाचार करता है तो मेरी नजर में उसका वह किरदार है कि वह अपने घर सगे रिश्ते में बलात्कार जैसे कृत्य कारित करता है। जो संविधान का उल्लंघन कर अपनी गलत काम से तिजोरी भरता है। ये तुलना उसके लिए किसी भी पत्रकार के ऊपर विरोध में खबर लिखने पर यही आरोप लगता है कि पैसा मांग रहे है। जरा अपने गिरेबान में झांककर देखो चोर, बेईमान अफसरों कि क्या तुम वेतन पर नौकरी कर रहे हो। रजवाड़े शौक तुम पाले हो, राजा जैसी सुविधा का उपभोग करते हो, घूसखोरी बन्द कर दो, हम भी विरोध में लिखना बन्द कर देंगे। यदि नहीं तो बेईमान लोकसेवकों तुम्हे यूं ही चोर, घूसखोर, बेईमान लिखा जाएगा चाहे तुम कोई आरोप लगाओ कोई फर्क नहीं पड़ता। यहां तो भगवान को भी गाली मिलती है। तुम्हारे इस तरह के लांछन लगाने से मेरी कलम कभी नहीं रुकेगी चाहे अंजाम कुछ भी हो।
✍️...........अचूक संघर्ष पेपर
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