चौबेपुर। देवलपुर गांव में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन कथावाचक आचार्य प्रिंसधर मिश्रा ने भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की कथा विस्तार से सुनाई। कथा सुनने के लिए काफी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे थे।
उन्होंने कहा कि कंस के अत्याचार से तीनों लोक त्राहि-त्राहि कर उठे तो भगवान विष्णु ने श्रीकृष्ण के रूप में अवतार लिया। कंस अपनी बहन देवकी की शादी वासुदेव से धूमधाम से कराने के बाद जब उन्हें छोड़ने जा रहा था, तभी भविष्यवाणी सुनकर उसकी सारी खुशी काफूर हो गई। उसने वासुदेव के अनुनय-विनय के बाद दोनों को कारागार में डाल दिया और एक-एक कर उनके छह बच्चों को मौत के घाट उतार दिया। जब भगवान कृष्ण ने आधी रात को अवतार लिया तो सारे पहरेदार गहरी निद्रा में सोए हुए थे और हथकड़ियां व कारागार के ताले अपने आप खुल गए। वासुदेव कृष्ण को टोकरी में रखकर गोकुल में छोड़ आए और वहां से माया रूपी बालिका को अपने साथ ले आए। इधर जब कंस बच्चे के रोने की आवाज सुना तो कारागार की तरफ दौड़ पड़ा। उनके हाथों से छीनकर जैसे ही उसने माया को जमीन पर पटकने का प्रयास किया तो वह उसके हाथ से छूटकर आकाश में चली गई और कहा कि तुझे मारने वाला गोकुल में जन्म ले चुका है।
कथा के दौरान कृष्ण जन्म की झांकी देख श्रोता आनंद में झूम उठे। इस दौरान मुख्य रूप से बेचन सिंह, शिवमूरत सिंह, रामसूरत सिंह, बनारसी सिंह,नकछेद सिंह, धनराज सिंह त्रिवेणी, संतोष सिंह आदि मौजूद रहे।
No comments:
Post a Comment