चकिया। भारत सरकार द्वारा घोषित आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में सावित्री बाई फुले राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय चकिया,चंदौली के इतिहास विभाग में भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद,नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित 'अमृतकाल में विभाजन पर पुनर्विचार ' ( Rethinking partition in amrit kaal ) विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन 07 - 08 अक्टूबर 2023 का आयोजन किया जा रहा है। इस कार्यक्रम का उदघाटन सत्र का आयोजन 7 अक्टूबर 10 से 12 बजे किया जाएगा, जिसमें मुख्य अतिथि प्रो. बिन्दा डी. परांजपे संकाय प्रमुख, सामाजिक विज्ञान संकाय, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी, विशिष्ट अतिथि प्रो.घनश्याम विभागाध्यक्ष, इतिहास विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी और प्रो.सविता भारद्वाज प्राचार्य, राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय,गाजीपुर एवम् मुख्य वक्ता डॉक्टर मनोज वर्मा एसोसिएट प्रोफेसर, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय , नई दिल्ली आदि उपस्थित रहेंगे । आयोजन का समापन सत्र 8 अक्टूबर को किया जाएगा। जिसमें मुख्य अतिथि डॉक्टर बृजकिशोर त्रिपाठी, क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी, वाराणसी एवम् विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर रंजनाशील, प्रो.ताबीर कलाम एवम् प्रो.मालविका रंजन इतिहास विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी आदि है।
इस अवसर पर भारत के विभिन्न विश्वविद्यालय जैसे काशी हिन्दू विश्वविद्यालय-वाराणसी, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय नई दिल्ली, दिल्ली विश्वविद्यालय- नई दिल्ली, इलाहाबाद विश्वविद्यालय- प्रयागराज, भीमराव अम्बेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय- लखनऊ,महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय-मोतिहारी, दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय-गया, वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय-जौनपुर, वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय -आरा, जय प्रकाश विश्वविद्यालय-छपरा सहित अनेक राज्यों के विश्वविद्यालयों से विभिन्न विषय के विद्वान और शोधार्थी लगभग 200 से अधिक शिरकत करने की संभावना है। इस कार्यक्रम में महत्वपूर्ण उपविषय पर जैसे साहित्य,कला व सिनेमा में विभाजन,विभाजन और गुमनाम नायक(unsung Heroes),विभाजन और राजनीति के विभिन्न स्वर,विभाजन और पहचान की समस्या,स्मृतियों में विभाजन,विभाजन और महिलाएं,विभाजन और सीमा समस्या,विभाजन का भारत की अर्थव्यवस्था,समाज, राजनीति,खेल व संस्कृति पर प्रभाव तथा विभाजन व इतिहासलेखन आदि विषयों पर विमर्श किया जाएगा।
महाविद्यालय की संरक्षिका/प्राचार्य प्रोफेसर संगीता सिन्हा ने राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन के प्रति हर्ष व्यक्त करते हुए कहा कि इसके माध्यम से विभाजन के ऐतिहासिक परिघटनाओ सहित विभिन्न पहलुओं एवम् प्रभावों की विस्तृत जानकारी प्राप्त होने की संभावना होगी,जिससे विद्यार्थी, शोधार्थी और जनसमान्य लोगो लाभान्वित होंगे।
राष्ट्रीय संगोष्ठी के संयोजक डॉ संतोष कुमार यादव ने कहा कि अगस्त 1947 भारतीय स्वतंत्रता के साथ भारत का विभाजन भारतीय इतिहास का वह अमानवीय अध्याय है जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। यह मात्र भौगोलिक विभाजन नहीं था बल्कि विभाजन की हिंसा और नफरत की आग में लाखों लोगों को अपने प्राण खोने पड़े एवम् हजारों महिलाओं के साथ बलात्कार व बर्बरता जैसी अमानवीय कृत्य से अपने गांव को छोड़ कर भागने के लिए मजबूर होना पड़ा । अतः विभाजन की यह परिघटना बताती है कि एक विभाजन हुआ,अब दूसरा नहीं। इसी मुद्दे पर पुनर्विचार के लिए विद्वानों,शोधार्थियों व छात्रों के बीच संवाद हेतु आमंत्रित किया गया है।
No comments:
Post a Comment