चन्दौली। रोशन दो महीने का है। वह दो दिनों से बहुत सुस्त दिख रहा था। दूध भी कम पी रहा था। उसकी तबीयत बिगड़ती देख उसकी मां उसे लेकर तत्काल अस्पताल पहुंचीं। जांच के बाद डॉक्टर ने बताया कि बच्चे के सीने में कफ जम गया है। इसकी वजह से उसे बुखार भी है। दिन-रात कूलर के सामने रहने से शिशु को यह परेशानी हुई है।
राजकीय महिला चिकित्सालय के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ राजेश अगरिया कहते हैं कि इन दिनों पड़ रही भीषण गर्मी से शिशु को बचाने के लिए लोग उसे कूलर के सामने या एसी में लगातार रखते है | यह शिशु के लिए नुकसानदेह भी हो रहा है | गर्मी-सर्दी से ऐसे बच्चों के सीने में कफ जमने, बुखार आने की समस्या होने लग रही है | ऐसे में सतर्कता बरतने की भी जरूरत है | डा.राजेश कहते हैं कि वैसे तो किसी के लिए भी गर्मी को बर्दाश्त करना आसान नहीं होता है | विशेष कर नवजात शिशु के लिए गर्मी का मौसम कुछ ज्यादा ही मुश्किल भरा साबित होता है |अगर शिशु की पहली गर्मी है,तो उसे ज्यादा संभालकर रखने की जरूरत होती है| डॉ राजेश ने बताया कि गर्मी में शिशुओं को लू लगने,घमोरियों और त्वचा से जुड़ी अन्य कई परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है।
वह बताते है कि अप्रैल से अब तक 175 से ज्यादा नवजात शिशु का इलाज किया गया है| वर्ष 2021 में अप्रैल से जुलाई तक कुल 150 बच्चे और वर्ष 2022 के अप्रैल से जुलाई तक में कुल 220 बच्चों का इलाज किया गया था| इसलिए गर्मी में शिशु के माता पिता की जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है,शिशु की देखभाल में उन्हें बहुत सावधानी बरतने की जरूरत होती है|यदि बच्चे कि यह पहली गर्मी है तो उसकी देखभाल करने और गर्मी से बचाने की कोशिश बेहद जरूरी है|
गर्मी में शिशु को होने वाली बीमारी- बुखार,पीलिया,दस्त,फंगल इंफेशन तथा आँखों का इंफेशन जैसी बीमारियां शिशुओं में हो जाती है|इस दौरान शिशु को संक्रमण का खतरा अधिक रहता है इसलिए कोशिश रहे कि शिशु को कम से कम लोग स्पर्श करें|उसे गोद में लेने या स्पर्श करने से पहले हाथ अवश्य धुल लें|
इस तरह रखें सावधानियां - गर्मी शरीर में डिहाइड्रेशन पैदा कर देता है| नवजात शिशु सिर्फ मां का दूध पीते हैं और उन्हें इससे पोषण और हाइड्रेशन मिलता है|शिशु को हाइड्रेट रखने के लिए उसे थोड़ी-थोड़ी देर में दूध पिलाती रहें|पसीना आने से बच्चे के शरीर से फ्लूइड्स निकल जाते हैं|इसलिए स्तनपान से शिशु को हाइड्रेट रखें|शिशु को छह माह तक सिर्फ माँ का ही दूध पिलायें| छह से ऊपर के बच्चों को तरल पदार्थ जैसे- खिचड़ी,दाल,दलिया,मौसमी फल,दूध से बने पूरक आहार दे सकते है,साथ ही स्तनपान भी अवश्य कराये|
शिशु को सूती और ढीले कपड़े पहनाएं,क्योंकि इससे बच्चे की त्वचा सांस ले पाती है तथा घमोरी होने पर भी आराम मिलता है । धूप के समय शिशु को घर से बाहर न निकालें। 6 महीने से कम उम्र के शिशु को धूप में निकालते हैं, तो उसकी त्वचा को सीधा नुकसान पहुंच सकता है। बाहर जाना भी पड़ रहा है तो शिशु के सिर पर सूती कैप पहनाकर रखें और धूप के सीधे संपर्क में न आने दें।
गर्मी में शिशु को कुछ देर के लिए बिना नैपी के रखें। सूती नैपी या डिस्पोजेबल नैपी शिशु को इस मौसम में गर्म रख सकता है। जिससे बच्चे को पसीने की वजह से जांघों और पेट पर रैशेज (लाल दाने) हो सकते हैं। बच्चा स्वस्थ है तो नियमित एक बार जरूर नहलायें। दिन में दो से चार बार शिशु के कपड़े जरूर बदलें।पाउडर त्वचा से नमी को सोखता है और गर्मी के मौसम में शिशु की त्वचा को ड्राई करता है। नैपी बदलते समय शिशु की जांघों पर और नहलाने के बाद भी पाउडर का इस्तेमाल कर सकते हैं।
No comments:
Post a Comment