मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ0 वाई के राय ने बताया कि एक्यूट वायरल कन्जेक्टिवाइटिस यह एक प्रकार के वायरस से होने वाली आँखों की बीमारी है। जिसमें आँखे लाल हो जाती है, जिसमें आखों में कर-कराहट रहती है और पलकों में सूजन आ जाती है। कभी-कभी इसमें किचड़ भी आता है। शुरू में 48 से 72 घंटे तक आखों की दिक्कतें बढ़ती है। इसके बाद आखों में सुधार आना शुरू हो जाता है। 05 से 07 दिनों में स्वतः ही ठीक हो जाती है।
इंफेक्शन होने पर क्या करें
1- आंखों की सफाई रखें 04 से 06 बार आँखों को बर्फ से सिकाई करें।
2- अपना कपड़ा, विस्तर, तकिया, तौलिया, गमछा अलग कर लें।
3- कोई वस्तु छूने के बाद हाथों को साबुन से आवश्य धुलें अथवा हैण्ड सेनेटाईजर का प्रयोग करें।
4- घर के बाहर जाने एवं वापस आने पर सभी लोग कुछ भी छुने से पहले हाथ जरूर धुलें।
5- इंफेक्शन होने पर यदि संभव हो तो अपने लिए अलग कमरें की व्यवस्था करें।
6- यदि घर के किसी सदस्य को इंफेक्शन है तो घर के शौचालय और स्नान घर की सफाई का विशेष ध्यान रखें।
7- यदि आखों में पहले से कोई बिमारी है तो इस बिमारी के लक्षण आने पर तुरन्त नजदीकी डाक्टर से मिले।
8- यदि आँखों में इंफेक्शन है तो आंखों पर काले चश्में का प्रयोग करें तथा लोगों से दूरी बना कर रखें।
9- घर पर जितने भी लोगों को संक्रमण हो वह अपनी आँखों की दवाओं का इस्तेमाल सिर्फ अपने लिए करें।
10-बिमारी से प्रभावित हर व्यक्ति आँखों के लिए आई ड्राप अलग-अलग रखें।
इंफेक्शन होने पर क्या न करें
1- बिना डाक्टर के सलाह के घर में रखे आई ड्राप या मेडिकल स्टोर से लेकर आँखों में किसी भी प्रकार के ड्राप व दवा प्रयोग न करें। ऐसा करने पर इंफेक्शन बढ़ने का खतरा और बढ़ सकता है।
2- आँखों को बार-बार अपने हाथों से न छुये/न मसलें।
स्कूलों के लिए निर्देश-
1- जो बच्चें संक्रमित हो उन्हे ठीक होने तक घर पर रहकर आराम करने की सलाह दी जाय एवं किसी अन्य बच्चे के सम्पर्क में आने से रोका जाय।
2- स्कूलोें में शौचालय की 03 से 04 बार अच्छे से अवश्य सफाई कराये।
3- शौच के पश्चात् साबुन से हाथ अवश्य धुलायें अथवा हैण्ड सेनेटाईजर का प्रयोग करायें। हाथों को सूखा रखा जाय।
4- बच्चों के क्लास रूम को अधिक से अधिक साफ रखा जाय।
विचार एवं विमर्श:-
मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ0 वाई के राय
क्या है आई फ्लू
जिला अस्पताल के आई स्पेशलिस्ट डॉ. अर्जुन सिंह ने बताया कि आमतौर पर यह एक एलर्जिक रिएक्शन की वजह से होता है। कई मामलों में बैक्टीरिया का संक्रमण इसके लिए जिम्मेदार है। श्वसन तंत्र या नाक-कान अथवा गले में किसी तरह के संक्रमण के कारण वायरल कंजंक्टिवाइटिस होता है। संक्रमण की शुरुआत एक आंख से ही होती है, लेकिन जल्द ही दूसरी आंख को भी चपेट में ले लेता है।
एम्स में 100 से ज्य़ादा केस रोज़
एम्स के आरपी सेंटर के प्रमुख डॉ. जे एस तितियाल ने कहा कि एम्स में ऐसे रोजाना 100 मरीज आ रहे हैं। आमतौर पर एक से दो हफ्ते में यह अपने आप ठीक हो जाता है। लेकिन, कई बार साथ में बैक्टीरियल इन्फेक्शन जुड़ जाता है और यह ज्यादा सीवियर हो जाता है। उन्होंने कहा कि किस तरह का संक्रमण है, इसका पता लगा रहे हैं, जिसमें वायरस का स्ट्रेन का पता चल जाएगा और संक्रमित इंसान में वायरस के साथ बैक्टीरिया है भी या नहीं, इसका भी खुलासा हो जाएगा। इससे इलाज आसान हो जाएगा। अगर बैक्टीरिया भी है तो एंटीबायोटिक्स दिया जा सकता है।
ले सकता है एपिडेमिक का रूपसेंटर फॉर साइट के चीफ डॉ. महिपाल सचदेव ने कहा कि पिछले कुछ दिनो में संक्रमण दो से तीन गुणा बढ़ गया है। दिल्ली ही नहीं, पूरे देश में यह फैल रहा है। हैदराबाद, भोपाल, इंदौर, सभी जगह हो रहा है। अभी तो स्थिति कंट्रोल में है, लेकिन जिस तेजी से यह फैल रहा है यह एपिडेमिक का रूप ले सकता है।
आई फ्लू के लक्षण
आंखें लाल होना, जलन होना
पलकों पर पीला और चिपचिपा तरल जमा होना
आंखों में चुभन और सूजन आना
आंखों में खुजली होना और पानी आना
बचाव के उपाय
संक्रमित व्यक्ति से हाथ न मिलाएं, न ही उनकी वस्तुओं को छुएं हाथों को नियमित रूप से साबुन या सैनिटाइजर से साफ करते रहें।
आंखों की सफाई रखें और ठंडे पानी से बार-बार धोएं।
संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से बचें। भीड़ वाली जगहों से बचें।
आंखों को बार-बार हाथ नहीं लगाएं।
अगर संक्रमित आंख को छुए तो हाथ अच्छे से साफ करें।
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