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Saturday, October 7, 2023

दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के आयोजन में पहले दिन रीथिंकिंग पार्टीशन इन "अमृत काल" पर हुआ चर्चा

चकिया। सावित्री बाई फुले पीजी गवर्नमेंट कॉलेज, चकिया सावित्री बाई फुले पीजी गवर्नमेंट कॉलेज, चकिया में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का प्रारम्भ हुआ। संगोष्ठी का मुख्य विषय रीथिंकिंग पार्टीशन इन "अमृत काल" था । इस राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, सामाजिक विज्ञान संकाय प्रमुख प्रो. बिंदा डी परांजपे, विशिष्ट अतिथि प्रो. घनश्याम , अध्यक्ष, इतिहास विभाग, काशी हिंदू विश्व विद्यालय,  कीनोट स्पीकर प्रो.मनोज शर्मा, जवाहर लाल नेहरू, नई दिल्ली, विशेष अतिथि आई. सी .एच. आर ,नई दिल्ली के डिप्टी डायरेक्टर डॉ विनोद कुमार उपस्थित थे।


 

इस कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय की प्राचार्य महोदया प्रोफेसर संगीता सिन्हा ने की।


 

कार्यक्रम का प्रारम्भ  दीप प्रज्वलन, सरस्वती बंदना एवं कुलगीत से हुआ। दिन भर का कार्यक्रम दो तकनीकी सत्र एवम् दो समानांतर सत्र में विभाजित था, प्रत्येक सत्र में देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों से आये हुए विद्वान शिक्षक, अकादमिक जगत के लोग एवं शोधार्थियों ने अपने अपने शोध पत्र पढ़े।


 

उद्घाटन सत्र के दौरान विशिष्ट अतिथि प्रोफसर घनश्याम ने अपने उद्बोधन में इतिहास लेखन में मीडिया के विभिन्न माध्यमों की भूमिका एवम विभाजन को प्रवासन के संदर्भ में देखने की जरूरतको रेखांकित किया। मुख्य अतिथि प्रोफसर बिंदा डी परांजपे  ने अपने उद्बोधन में विभाजन पर चर्चा करते हुए इतिहास लेखन के उन बिंदुओं के पुनर्लेखन पर ध्यान देने की जरूरत को बताया जो लोग हासिये पर चले गए है एवम् व्यक्ति और समष्टि के इतिहास की चर्चा करने की बात के साथ ही साथ उन्होंने ने इस बात पर भी बल देने को कहा कि विभाजन के दर्द दोनों तरफ हुआ। क्या उस विभाजन के दर्द को मानवीय और  मानवता के केंद्र में देखते है यह प्रश्न है जो हमेशा छूटा रह जाता है ? 


 

तकनीकी सत्र के दौरान किनोट स्पीकर जे एन यू , के डॉ मनोज शर्मा ने अपने उद्बोधन में हिंदी सिनेमाओं में विभाजन सम्बंधित घटनाओं का उल्लेख किया जिसके अंतर्गत पिंजर, लाहौर, ट्रैन टू पाकिस्तान, धूल का फूल, गर्म हवा तमस इत्यादि का चर्चा कर के विभाजन के दर्द को बताया। 



कार्यक्रम के दौरान महाविद्यालय की प्राचार्य महोदया डॉ संगीत सिन्हा ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में समाज शास्त्रीय दृष्टिकोण से विभाजन को देखने की बात कही। तकनीकी सत्र की अध्यक्षता प्रो.के.के. सिंह, संकाय प्रमुख, महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय भी उपस्थित रहे।


 

कार्यक्रम के संयोजक डॉ संतोष यादव ने संगोष्ठि का विषय प्रवेश करवाते हुए सभी अतिथियों का स्वागत किया। मंच संचालन डॉ निर्मल पांडेय, और धन्यवाद ज्ञापन डॉ सुरेंद्र कुमार सिंह ने कियाएवम् आयोजन सचिव डॉक्टर शमशेर बहादुर कार्यक्रम के दौरान महाविद्यालय के सभी शिक्षक श्री रमाकांत, श्री संतोष कुमार, डॉक्टर कलावती, डॉक्टर मिथिलेश कुमार सिंह, डॉक्टर अमिता सिंह, एवम् श्री विश्व प्रकाश शुक्ल के साथ साथ श्री देवेन्द्र बहादुर सिंह, श्री विपिन शर्मा , श्री श्याम जन्म सोनकर आदि शिक्षकेत्तर कर्मी एवं  छात्र- छात्राएं उपस्थित थे।का प्रारम्भ हुआ। संगोष्ठी का मुख्य विषय रीथिंकिंग पार्टीशन इन "अमृत काल" था ।


 

इस राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, सामाजिक विज्ञान संकाय प्रमुख प्रो. बिंदा डी परांजपे, विशिष्ट अतिथि प्रो. घनश्याम , अध्यक्ष, इतिहास विभाग, काशी हिंदू विश्व विद्यालय,  कीनोट स्पीकर प्रो.मनोज शर्मा, जवाहर लाल नेहरू, नई दिल्ली, विशेष अतिथि आई. सी 

.एच. आर ,नई दिल्ली के डिप्टी डायरेक्टर डॉ विनोद कुमार उपस्थित थे। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय की प्राचार्य महोदया प्रोफेसर संगीता सिन्हा ने की।

कार्यक्रम का प्रारम्भ  दीप प्रज्वलन, सरस्वती बंदना एवं कुलगीत से हुआ। दिन भर का कार्यक्रम दो तकनीकी सत्र एवम् दो समानांतर सत्र में विभाजित था, प्रत्येक सत्र में देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों से आये हुए विद्वान शिक्षक, अकादमिक जगत के लोग एवं शोधार्थियों ने अपने अपने शोध पत्र पढ़े। उद्घाटन सत्र के दौरान विशिष्ट अतिथि प्रोफसर घनश्याम ने अपने उद्बोधन में इतिहास लेखन में मीडिया के विभिन्न माध्यमों की भूमिका एवम विभाजन को प्रवासन के संदर्भ में देखने की जरूरतको रेखांकित किया। मुख्य अतिथि प्रोफसर बिंदा डी परांजपे  ने अपने उद्बोधन में विभाजन पर चर्चा करते हुए इतिहास लेखन के उन बिंदुओं के पुनर्लेखन पर ध्यान देने की जरूरत को बताया जो लोग हासिये पर चले गए है एवम् व्यक्ति और समष्टि के इतिहास की चर्चा करने की बात के साथ ही साथ उन्होंने ने इस बात पर भी बल देने को कहा कि विभाजन के दर्द दोनों तरफ हुआ। क्या उस विभाजन के दर्द को मानवीय और  मानवता के केंद्र में देखते है यह प्रश्न है जो हमेशा छूटा रह जाता है ? 

तकनीकी सत्र के दौरान किनोट स्पीकर जे एन यू , के डॉ मनोज शर्मा ने अपने उद्बोधन में हिंदी सिनेमाओं में विभाजन सम्बंधित घटनाओं का उल्लेख किया जिसके अंतर्गत पिंजर, लाहौर, ट्रैन टू पाकिस्तान, धूल का फूल, गर्म हवा तमस इत्यादि का चर्चा कर के विभाजन के दर्द को बताया। 

कार्यक्रम के दौरान महाविद्यालय की प्राचार्य महोदया डॉ संगीत सिन्हा ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में समाज शास्त्रीय दृष्टिकोण से विभाजन को देखने की बात कही। तकनीकी सत्र की अध्यक्षता प्रो.के.के. सिंह, संकाय प्रमुख, महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय भी उपस्थित रहे...कार्यक्रम के संयोजक डॉ संतोष यादव ने संगोष्ठि का विषय प्रवेश करवाते हुए सभी अतिथियों का स्वागत किया। मंच संचालन डॉ निर्मल पांडेय, और धन्यवाद ज्ञापन डॉ सुरेंद्र कुमार सिंह ने कियाएवम् आयोजन सचिव डॉक्टर शमशेर बहादुर कार्यक्रम के दौरान महाविद्यालय के सभी शिक्षक रमाकांत, संतोष कुमार, डॉक्टर कलावती, डॉक्टर मिथिलेश कुमार सिंह, डॉक्टर अमिता सिंह, एवम् विश्व प्रकाश शुक्ल के साथ साथ श्री देवेन्द्र बहादुर सिंह, श्री विपिन शर्मा , श्री श्याम जन्म सोनकर आदि शिक्षकेत्तर कर्मी एवं  छात्र- छात्राएं उपस्थित थे।

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