उत्तर प्रदेश ( मीडिया टाइम्स )। में प्राइमरी स्कूलों की मौजूदा स्थिति पर चिंता जताते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि प्राथमिक शिक्षा नागरिकों का मौलिक अधिकार है।
बच्चे ऐसी बिल्डिंग में पढ़ाई कर रहे हैं, जो एकदम जर्जर हालत में हैं। ऐसे बिल्डिंग में उनके जान का हमेशा खतरा बना रहता है। स्कूलों को जर्जर हालत में नहीं छोड़ा जा सकता है। लिहाजा, इस मामले में मुख्य सचिव अपना जवाब दाखिल करें।
कोर्ट ने प्रिंसिपल सेक्रेटरी से प्राथमिक स्कूलों की मरम्मत और उसके नियमित रखरखाव के बारे में लागू की गई नीति की जानकारी मांगी है। कोर्ट ने कहा है कि वह यह भी बताएं कि सरकार ऐसे मुद्दों को किस तरह से हल करेगी। यह आदेश कार्यवाहक मुख्य न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता और न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र की खंडपीठ ने चंद्र कला की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।
BSA से कोर्ट ने मांगी पूरी जानकारी
*याची की ओर से कहा गया कि जिला शाहजहांपुर के पुवायां तहसील, ब्लॉक जसवंतपुर और ग्राम पंचायत झरसा स्थित प्राथमिकी स्कूल की हालत सालों से जर्जर है। बच्चे जिस एक कमरे में बैठ कर पढ़ाई कर रहे हैं, उसकी भी हालत दयनीय है। कोर्ट ने पिछली तिथियों पर सुनवाई करते हुए मामले में BSA से जानकारी मांगी थी।
BSA ने बताया कि उनकी ओर से स्कूलों की बिल्डिंगों की मरम्मत, रखरखाव और नए भवनों के निर्माण के लिए प्रदेश सरकार से बजट की मांग की गई है। स्वीकृति मिलने पर निर्माण कार्य करवाया जाएगा।
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