लोकपति सिंह जिला संवाददाता
इलिया (चंंदौली): कोरोना वायरस से बचाव का एकमात्र मंत्र सावधानी व शारीरिक दूरी है। आयुर्वेदिक दवाओं को अपनाकर कोरोना जैसी खतरनाक बीमारी से बचा जा सकता है। यह बातें मृत्युंजय हॉस्पिटल के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ ए के दुबे ने कही।बोले, कोरोना वायरस सभी उम्र के लोगों के लिए उतना ही खतरनाक है, जितना बच्चों और बुजुर्गों के लिए। बच्चों, बुजुर्गों की रोग प्रतिरोधक क्षमता युवाओं से कम होती है।इसलिए उन पर इसका असर अधिक नजर आता है।बुजुर्ग सावधानी बरते। घर से बाहर न निकले। साथ ही भीड़, सामाजिक व धार्मिक आयोजनों में भाग लेने से पूरी तरह से बचे । शारीरिक दूरी का पालन करना ही जीवन को सुखी बनाएगा l बच्चों को घर पर बेहतर माहौल दें।जिससे उनका मन लगा रहे। स्वच्छता के लिए दिन में कई बार साबुन से हाथ धुलवाएं। रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए पौष्टिक आहार, आयुर्वेदिक काढ़ा गिलोय, त्रिभुवन कीर्ति रस, अश्वगंधा, तुलसी, सुदर्शन बटी, गिलोय घनवटी, परिजात, का सेवन कराएं, परिवार में किसी भी सदस्य को खांसी,जुखाम हो तो बच्चों को उनसे दूर रखें ।लापरवाही घातक हो सकती है। शिशु को बिना हाथ धोएं न छुएं, मां का दूध पिलाते रहें। शिशु को साफ-सुथरे कमरे में रखें।ऊपर का पानी न दे। क्योंकि नवजात में रोगों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। स्तनपान कराते समय मां को कम से कम 20 सेकंड तक साबुन से हाथ धोने के बाद ही बच्चे को छुएं। बचाव ही सबसे उत्तम दवा है।
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