चकिया/चन्दौली। चंद्रप्रभा साहित्यिक संस्था चकिया द्वारा संचालित चंद्रप्रभा साहित्यिक मंच चकिया का मासिक काव्य गोष्ठी 4 जुलाई दिन रविवार दोपहर 12:00 बजे आदित्य पुस्तकालय चकिया में संस्था के अध्यक्ष श्री बेचई सिंह मालीक की अध्यक्षता में हुई जिसमें वाणी वंदना तेजबली अनपढ़ मैया वीणावालि आके वीणावा बजाय दा से प्रारंभ की
राजेश विश्वकर्मा राजू, शादी के दिन दुलहा बनके गईली जब ससुरारी।सुना कर बफै व्यवस्था पर व्यंग किया।
मिथलेश कुमार ,सगरो मचल महामारी हो कब अईबा मुरारी।
राजेश कुमार बेनजीर, दूर कर देंगे कहते गरीबी किंतु किसका बताते नहीं है।
संतोष कुमार धूर्त, सुन घिर आए बदरा कारे मेरे प्रियतम बन जारे।
रामप्रवेश सिंह झांउ, साथी शायर जिगरी दोस्त मुझे नरेटिव कहते हैं।
बंधु पाल बंधु, कोरोना के दौड़ में हर लोग हाफते मिले, चक्कर लगाते हॉस्पिटल को ही नापते मिले,
राम अलम सिंह जीवन उधो सुनी सुनी तोहरे बतिया धधकई हमारी छतिया ना
प्रदीप कुमार पाठक एडवोकेट जीत बदल दो हार बदल दो, नफरत दाई प्यार बदल दो
गोष्ठी में संतोष मौर्या आदि लोग उपस्थित थे अध्यक्षता बेचई सिंह मालिक संचालन हरिवंश सिंह बवाल ने किया।
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