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Saturday, January 21, 2023

जिले में कुष्ठ रोग उन्मूलन को दी जा रही है गति, कुष्ठ रोग में दिव्यांगता का प्रतिशत कम होने पर भी मिलती है पेंशन

सम्मान जनक जीवन जी रहें है कुष्ठ रोगी -डॉ रमेश प्रसाद 


चंदौली(मीडिया टाइम्स)। 21 जनवरी 2023 

केस-1

नियामताबाद ब्लॉक के 60 वर्षीय राम प्रकाश ( काल्पनिक नाम)  के हाथ-पैर में कई जगह पर सफ़ेद दाग थे और साथ ही वह जगह सुन्न हो गई थी। 2014 में जाँच हुई तो पता चला की उन्हें कुष्ठ रोग है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से उन्हें दवा उपलब्ध कराई गई और साफ-सफाई रखने की सलाह दी गई| इतना ही नहीं स्वास्थ्य विभाग ने 21 मार्च 2016 में दिव्यांगता प्रमाण पत्र बनाया जिसकेआधार पर उन्हें हर माह तीन हजार रूपये मिल रहे हैं। साथ ही विभाग से कम्बल,चश्मा,दवा,पट्टी, और एमसीआर चप्पल की भी सुविधा दी जाती है| राम प्रकाश कहते है कि इस सहयोग और पेंशन राशि ने उन्हें जीने की राह दी है।

केस 2-

चहनियां ब्लॉक की 55 वर्ष की गीता देवी (काल्पनिक नाम) के हाथ और पैर में हल्के लाल दाग होने लगे थे। छूने पर कुछ पता नहीं चलता था। वह बताती है कि छह -सात निशान हो गया था। सोचा की वह खुद ही ठीक हो जाएगा। लेकिन दाग बढ़ने लगा और घाव दिखने लगा तो घर के नजदीकी सरकारी स्वास्थ्य केंद्र पर 23 नवंबर 2015 को जांच कराया तब पता चला कि कुष्ठ रोग है। डॉक्टर ने कहा डरो मत नियमित दवा सेवन करो और बताए गए नियम का पालन करो| बीमारी और नहीं बढ़ेगी। गीता बताती है कि कुष्ठ रोग का पता चलते ही घर और आस पास के लोग हमसे दूर रहने लगे|घर से अलग कर दिया गया। दो वक्त का खाना भी नसीब में नहीं था|कोई कुछ देता था तो खा लेती थी। लगभग एक साल खाने के लिए पैसे जुटा पाना बहुत मुश्किल था। जब सरकार द्वारा 2016 में कुष्ठ रोग दिव्यंगताका पेंशन मिलने लगा तो,इस बीमारी से होने वाला कष्ट कम हुआ, क्योंकि अब इस बीमारी के साथ ही जीना है|पेंशन को पाने के बाद खाने के लिए किसी के सामने हाथ नहीं फैला रहें है।

जिला कुष्ठ रोग अधिकारी डॉ रमेश प्रसाद बताते है कि कुष्ठ रोग यानी लेप्रोसी को जड़ से मिटाने के लिए स्वास्थ्य विभाग लगातार प्रयासरत है। इसको लेकर समय-समय पर अभियान चलाए जाते हैं और लोगों को कुष्ठ रोग के प्रति जागरूक किया जाता है। शुरुआती दौर में लक्षण नजर आने पर समय रहते इलाज से कुष्ठ रोग पूरी तरह से ठीक हो जाता है| लेकिन कुष्ठरोग से व्यक्ति में दिव्यांगता होने पर उन्हे सहायता राशि दी जाती है ताकि कुष्ठ रोगी भी समाज में समान अधिकार के साथ आगे बढ़ सके।

डॉ रमेश प्रसाद ने बताया कि जिले में कुल 156 कुष्ठ रोगी उपचार प्राप्त कर रहे हैं। कुष्ठ रोग के कारण कुछ लोगों में दिव्यांगता आ जाती है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी की ओर से जिले में अब तक कुल 267 दिव्यांगता प्रमाणपत्र प्रदान किये गये हैं। उन्होंने बताया कि अभियान के तहत कुष्ठ रोग से पीड़ित लोगों को छूकर यह बताने की कोशिश की गई कि कुष्ठ रोग छुआछूत की बीमारी नहीं है। अभियान के दौरान कुष्ठ रोग के लक्षण शरीर पर हल्के रंग के दाग पर सुन्नता हो,नसों में झन्नाहट हो,कुष्ठ पीड़ित मरीजों के साथ-साथ जन समुदाय को भी कुष्ठ रोग के शुरुआती लक्षण की जानकारी दी जाती है| लक्षण दिखने के बाद तुरंत नजदीकी सरकारी अस्पताल में संपर्क करने के लिए समझाया जाता है| जिसके लिए अपने क्षेत्र की आशा से भी संपर्क कर सकते है।

जिला पर्यवेक्षक अधिकारी तपेश्वर राम ने कहा कि कुष्ठ रोग के कारण दिव्यांग हुए ऐसे सभी दिव्यांगजन जो उत्तर प्रदेश के मूल निवासी हैं। जो गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले हैं। वर्तमान में ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करने वाले जिनकी आय 46080 सालाना आय होना चाहिएl रुपये तथा शहरी क्षेत्र में निवास करने वाले की आय 56460 रुपए प्रति वर्ष की सीमा के अंदर है| और शासन द्वारा संचालित अन्य कोई पेंशन का लाभ न प्राप्त कर रहे हों। तो ऐसे लाभार्थी को दिव्यांग पेंशन का लाभ मिल सकता है। चाहे दिव्यांगता का प्रतिशत कुछ भी हो पेंशन की धनराशि प्रतिमाह ₹3000 दिया जाता है | दिव्यांगता प्रमाण पत्र मुख्य चिकित्सा अधिकारी के स्तर से जारी होना चाहिए लाभ पाने के लिए पात्र दिव्यांगजन को http://sspy-up.gov.in पर अपना आवेदन करना होता है। इसके पश्चात जिला दिव्यांगजन सशक्तिकरण अधिकारी के सत्यापन के बाद पात्र दिव्यांगजन को योजना का लाभ मिलता है।




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