खूंखार बंदरों के डर से अधिकारी बोलने लगे हैं झूठ जनता को धकेल रहे मौत के मुंह में कैसे होगी जनता की रक्षा जब अधिकारी ही हो रहे है भ्रष्ट
खूंखार बंदरों ने सैकड़ों से अधिक लोगों पर किया है जानलेवा हमला अभी भी नहीं हुई कोई संतोषजनक कार्यवाही
चकिया। कोतवाली क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले शिकारगंज क्षेत्र में बंदरों के आतंक से ग्रामीणों में दहशत का माहौल लगातार बना रहता है।
आपको बता दें कि शिकारगंज क्षेत्र में बंदरों की संख्या इतनी अधिक हो गई है कि हर आए दिन खूंखार बंदर किसी न किसी व्यक्ति पर अटैक कर देते हैं जिससे लोगों में काफी दहशत का माहौल बना हुआ रहता है और इतना ही नहीं लोग अपने घरों से निकलने में भी डरने लगे हैं क्योंकि इनका अटैक इतना खतरनाक होता है कि लोग मौत के मुंह में भी जा सकते हैं, अभी हाल ही में शनिवार को सुबह अंबुज मोदनवाल पुत्र दिनेश मोदनवाल उम्र लगभग 27 वर्ष पत्रकार को खूंखार बंदरों ने अचानक हमला बोल दिया जिससे कई जगह पर काट लिए।
वही बीच-बचाव करने के लिए मौके पर पहुंचे लोगों ने किसी तरह बंदरों से जान बचाई संजोग अच्छा था कि मौके पर लोग पहुंच गए वरना हालात कुछ और ही हो जाता।
वही घायल अंबुज मोदनवाल पत्रकार को लोगों ने जिला संयुक्त चिकित्सालय चकिया में तुरंत भर्ती कराया जहां पर डॉक्टरों की देखरेख में इलाज किया गया।
वही शिकारगंज क्षेत्र के ग्राम वासियों का कहना है कि यहां बंदरों का आतंक इतना बढ़ गया है कि सैकड़ों की संख्या से अधिक लोगों को इनके द्वारा घायल किया जा चुका हैं।
मुद्दे की बात यह है कि जब संबंधित अधिकारियों से शिकायत की जाती है तो उनके द्वारा अजीबोगरीब प्रश्नों का उत्तर दिया जाता है जिसको सुनकर ग्रामीण भी दंग रह जाते हैं, जी हां आपको बता दें कि पिछले 6 महीने पहले प्रवीण सिंह के द्वारा सीएम हेल्पलाइन पोर्टल पर शिकायत की गई थी जिस पर वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों का निस्तारण करते हुए जवाब दिया गया कि नेवाजगंज के संपूर्ण बंदरों को पकड़कर अन्य जगह पर छोड़ दिया गया है, जबकि जमीनी हकीकत यह है कि महीने नहीं दिखते हैं खूंखार बंदरों द्वारा कई लोगों को चोटिल कर दिया जाता है। वही विद्यालय और बाबा जागेश्वर नाथ मंदिर पर दर्शन करने जाने वाले श्रद्धालुओं पर हर आए दिन खूंखार बंदरों द्वारा आत्मघाती हमला किया जाता है संजोग अच्छा रहता है कि लोगों की भीड़ के कारण लोग बस जाते हैं।
वही जब ग्रामीणों द्वारा संबंधित जिम्मेदार अधिकारियों से शिकायत की जाती है तो वह टालमटोल करते हुए अपना पल्ला झाड़ लेते हैं।
वहीं अब देखना यह है कि मामले को लेकर खबर प्रकाशित करने के बाद संबंधित जिम्मेदार अधिकारी इस पर क्या कार्रवाई करते हैं या पहले की भांति टालमटोल कर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं।
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